Anubhab Mowar

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लेखनी प्रतियोगिता -23-Apr-2022

कुछ ख्याल,रात भर बैठे हैं सिरहाने में

कुछ शक है,मुसलसल ज़हन में,
कुछ सवाल अब हैं ज़माने में
हौसले मगर, तेरे कमज़ोर क्यों है।
क्या बहादुरी है, सपनों से रूठ जाने में।
जो तेरा है बेशक, तुझे ही मिल जाएगा,सब्र रख
कुछ वक्त तो लगता है , आखिर
'गुमनाम',बड़े ख्वाब बनाने में।

- अनुभव मोवार 'गुमनाम'

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8 Comments

Shnaya

25-Apr-2022 04:42 PM

Very nice 👍🏼

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Zainab Irfan

25-Apr-2022 03:13 PM

बहुत ही सुन्दर

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Punam verma

24-Apr-2022 07:32 AM

Nice

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